Vidhan Sabha: “पत्नी चली गई, स्कूल बंद हो गए — भावुकता से हंगामा तक!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

12 अगस्त 2025 को यूपी विधानमंडल का दूसरा दिन कुछ ऐसा रहा, जैसे कोई शिक्षा नीति meets ट्विटर वॉर हो। सवाल-जवाबों के साथ-साथ बयानबाज़ी में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई।

शिक्षक बोले: “पत्नी चली गई, मानदेय नहीं बढ़ा”

सपा विधायक समरपाल ने सरकार से कहा कि शिक्षकों से सबसे ज़्यादा काम लिया जाता है लेकिन मानदेय “पॉकेट मनी” जितना है। एक गांव में शिक्षक इतना भावुक हुए कि बोले — “मानदेय इतना कम है, बीवी छोड़कर चली गई!”

इस पर शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब दिया —

“सरकार को अभी मानदेय बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।”

 जवाब में समरपाल बोले —

“अगर स्कूल मर्जर नहीं रोके, तो जनता सरकार का ही मर्जर कर देगी!”

अब ये लाइन मशहूर होने वाली है — और शायद शॉर्ट्स में भी!

शिक्षक भर्ती और मर्जर पर विपक्ष का वार

सपा विधायक पंकज पटेल और अनिल प्रधान ने पूछा:

  • नई शिक्षक भर्ती कब होगी?

  • कितने पद लंबित हैं?

  • स्कूल मर्ज क्यों हो रहे हैं?

वहीं प्रभुनारायण यादव ने पूछा —

“रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हो रही, या कोर्ट में फंसी है?”

सरकार जवाब देती रही, विपक्ष सवाल दागता रहा — मानो सदन नहीं, रैप बैटल चल रही हो।

“पत्नी की कसम खाओ, पानी नहीं आ रहा?”

फहीम इरफान vs स्वतंत्र देव सिंह की बहस सबसे वायरल टक्कर रही।
इरफान बोले —

  • जलजीवन मिशन अधूरा

  • पानी की टंकियां गिर रहीं

  • गांवों में सप्लाई ठप

इस पर मंत्री बोले —

“आप अपनी पत्नी की कसम खाइए कि पानी नहीं आ रहा।”

इरफान का पलटवार —

“अगर पश्चिम यूपी के गांवों में पानी आ रहा हो, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा!”

और सदन में पानी कम, पसीना ज़्यादा बहने लगा…

फतेहपुर विवाद की गूंज सदन में

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने फतेहपुर में मंदिर-मकबरा विवाद पर चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से टोकाटाकी हो गई, जिस पर महाना बोले — “आपका व्यवहार आपके पद के अनुरूप नहीं है।”

मुद्दा गंभीर है, लेकिन बहस में टोन टेलिविज़न डिबेट जैसी हो गई।

सीएजी रिपोर्ट: असल मुद्दों पर भी थोड़ी रोशनी

सदन में आज CAG रिपोर्ट पेश की गई जिसमें शामिल हैं:

  • सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट

  • सेंट्रल रोड फंड

  • सरयू नहर परियोजना

  • अवैध खनन का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

मतलब — एक तरफ भावनात्मक ड्रामा, दूसरी तरफ सूखे आंकड़े। ट्रू पालमेन्टरी बैलेंस!

विधानसभा में “असेंबली” तो हो रही है, लेकिन मुद्दों की असेंबली नहीं!

दूसरे दिन का सत्र साफ बता गया कि

  • शिक्षा, पानी, भर्ती, विकास — ये मुद्दे अभी भी ठंडे बस्ते और गर्म बहसों के बीच झूल रहे हैं।

  • और जब तक मर्जर, मानदेय और मकबरा साथ-साथ चलते रहेंगे, तब तक सदन के बाहर जनता का सब्र ही सबसे बड़ी परीक्षा रहेगा।

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